श्री शिव शक्ति ज्योतिष केंद्र .
जन्म कुंडली के द्वारा, विद्या, कारोबार, विवाह, संतान सुख, विदेश-यात्रा, लाभ-हानि, गृह-क्लेश , गुप्त- शत्रु , कर्ज से मुक्ति, सामाजिक, आर्थिक, राजनितिक ,पारिवारिक विषयों पर वैदिक उपायों के द्वारा समाधान प्राप्त करें,
Pandit Kaushal Pandey
जन्म कुंडली के द्वारा, विद्या, कारोबार, विवाह, संतान सुख, विदेश-यात्रा, लाभ-हानि, गृह-क्लेश , गुप्त- शत्रु , कर्ज से मुक्ति, सामाजिक, आर्थिक, राजनितिक ,पारिवारिक विषयों पर वैदिक उपायों के द्वारा समाधान प्राप्त करें,
कौशल पाण्डेय (ज्योतिष विशेषज्ञ )
जन्म कुंडली के द्वारा, विद्या, कारोबार, विवाह, संतान सुख, विदेश-यात्रा, लाभ-हानि, गृह-क्लेश ,
गुप्त- शत्रु , कर्ज से मुक्ति, सामाजिक, आर्थिक, राजनितिक ,पारिवारिक विषयों पर
वैदिक उपायों के द्वारा समाधान प्राप्त करें,
जब समस्याओं के समाधान की बात आती है, तो इसका उत्तर ज्योतिष में निहित है। ज्योतिष विज्ञान समस्याओं से निपटने में पूरी तरह सक्षम है। जहाँ अन्य सभी सांसारिक प्रयास विफल हो जाते है तब दवा के साथ मंत्र शक्ति और प्रार्थना काम आती है।
यदि आप किसी भी समस्या का सामना कर रहे हैं और सर्वोत्तम उपचार लेने के बावजूद भी आप बीमारियों से जूझ रहे हैं, तो पंडित कौशल पाण्डेय जी आपका जीवन बदल सकते हैं।
ज्योतिष भविष्यवाणियों जैसे इन दिव्य विज्ञानों पर आधारित समाधानों की मदद से, वे आध्यात्मिक उपचार का उपयोग करके अलग-अलग गंभीरता की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से पीड़ित लोगों को राहत दिलाने में सक्षम हैं। पंडित कौशल पाण्डेय जी की सेवाओं और उनकी प्रार्थनाओं की उपचार शक्तियों के माध्यम से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं, बीमारियों और विकारों को ठीक किया जा सकता है या कम किया जा सकता है।
Call +91 9968550003
अंक ज्योतिष:- पंडित कौशल पाण्डेय
ज्योतिष में 9 ग्रह हैं और अंक ज्योतिष में भी 9 ही अंक हैं। प्रत्येक ग्रह का एक अंक है, या कहिए कि प्रत्येक अंक का एक ग्रह है। विभिन्न अंकों के स्वामी निम्न प्रकार से माने गए हैं:-
अंक 1 2 3 4 5 6 7 8 9
ग्रह सूर्य चंद्र गुरु राहु बुध शुक्र केतु शनि मंगल
जन्म की तारीख को मूलांक और तारीख महीना और वर्ष के कुल योग को भाग्यांक कहा जाता है। मनुष्य के जीवन में तीन अंकों का प्रभाव मुख्य है- मूलांक, भाग्यांक एवं नामांक।
जन्मतिथि के अंकों के योग को मूलांक कहते हैं जैसे 12 का कुल योग 1+2=3 है।
तिथि, माह एवं वर्ष के योग को भाग्यांक जैसे 01-01-1990 =21 =3 है
नाम के अक्षरों के अंकों के योग को नामांक कहते हैं।
जिनका मूलांक एवं संयुक्तांक जातक के मूलांक एवं भाग्यांक के अनुकूल हों। किसी जातक को किसी अन्य व्यक्ति से लाभ मिलेगा या नहीं इसकी जानकारी भी अंक ज्योतिष द्वारा दोनों के मूलांक, भाग्यांक एवं नामांकों के मिलान से प्राप्त की जा सकती है।
विभिन्न अंकों पर किन-किन ग्रहों का प्रभाव अधिक रहता है, यह निम्न सारणी से जाना जा सकता है, साथ ही यह भी देखा जा सकता है कि इन अंकों का
आपस में संबंध कैसा है। ये आपस में मित्र हैं या शत्रु !
1, 10, 19, 28 तारीख को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 1 होगा।
1- इस अंक के प्रभाववश जातक धनी, कुलीन, यशस्वी, अधिकारी, डाक्टर, जौहरी, ठेकेदार या राजनीतिज्ञ होता है। वहीं यह हृदय रोग, सिरदर्द, नेत्र रोग आदि का प्रतीक भी है।
2, 11, 20, 29 तारीख को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 2 होगा।
2- यह अंक जातक को विनम्र, शांत और गुणी बनाता है। इसके प्रभाववश वह दूध, खेती या ठेकेदारी का कार्य करता है। किंतु, यह अंक मानसिक रोग, अनिद्रा आदि का प्रतीक है।
3, 12, 21, 30 तारीख को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 3 होगा।
3- यह अंक जातक को सुखी, क्षमाशील, नीतिवान, लेखक, अध्यापक, वकील, ज्योतिषी या दर्शनशास्त्री बनाता है। यह शुगर, गैस, पीठदर्द आदि का प्रतीक भी है।
4, 13, 22, 31 तारीख को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 4 होगा।
4- इस अंक के प्रभाववश जातक का अचानक भाग्योदय होता है। वह रेल कर्मचारी, पत्रकार या दुभाषिया हो सकता है, किंतु यह अंक उसे अपच, सिरदर्द आदि से पीड़ित रखता है।
5, 14, 23 तारीख को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 5 होगा।
5- यह अंक व्यक्ति को लेखक, गणितज्ञ, प्रतिभावान, ज्योतिषी, व्यापारी या लाईब्रेरियन बनाता है, किंतु इसके प्रभाववश वह लकवा ग्रस्त हो सकता है।
6, 15, 24 तारीख को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 6 होगा।
6- यह अंक जातक को धनी, व्यापारी, जौहरी, रूपवान, कलाकार या वस्त्र विक्रेता बनाता है, किंतु यह उसे मूत्र विकार, पथरी, गुर्दा रोग आदि से पीड़ित भी कर सकता है।
7, 16, 25 तारीख को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 7 होगा।
7- इस अंक के प्रभाववश जातक, कल्पनाशील, साहसी और पर्यटनप्रिय होता है, किंतु उसके चर्मरोग, थकावट, रक्तचाप आदि से ग्रस्त होने की संभावना रहती है। की घटनाएं किसी अंक विशेष को इंगित करती हैं। अगर विश्लेषण करें तो महत्वपूर्ण घटनाएं किसी खास दिन, तारीख या वर्ष (जिसके अंकों का जोड़ उस व्यक्ति के जन्मांक, नामांक या भाग्यांक का प्रतिनिधित्व करता हो) को ही घटित होती हैं। यहां तक कि जगह, आस-पास के लोगों और वह संस्था या कंपनी जहां व्यक्ति कार्य करता है, इन सब के मान का योग व्यक्ति को विशेष रूप से प्रभावित करने वाले अंकों में से ही कोई होता है।
8, 17, 26 तारीख को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 8 होगा।
8- यह अंक व्यक्ति को दीर्घायु, दृढ़ इच्छाशक्ति का स्वामी और परिश्रमी बनाता है, किंतु इसके प्रभाववश उसे जोड़ों का दर्द, लीवर रोग आदि हो सकते हैं।
9, 18, 27 तारीख को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 9 होगा
9- इस अंक का जातक नेता, डाक्टर, साहसी, सैनिक या जमींदार हो सकता है, किंतु उसे दुर्घटना, पाइल्स आदि होने की संभावना रहती है। वस्तुतः किसी भी व्यक्ति के जीवन है और उसमें भूलने की आदत भी पनप सकती है।
जानिए लग्न के अनुसार शुभ रत्न :-
मेष: इस लग्न वाले जातकों का अनुकूल रत्न मूंगा है .मंत्र- ऊँ भौं भौमाय नमः
वृष: इस लग्न वाले जातकों के लिए अनुकूल रत्न हीरा तथा राजयोग कारक रत्न नीलम है। मंत्र- ऊँ शुं शुक्राय नमः
मिथुन: इस लग्न वाले जातकों के लिए अनुकूल रत्न पन्ना है जिसे बुधवार को बुध की होरा में निम्न मंत्र से जाग्रत कर पहनना चाहिए। मंत्र- ऊँ बुं बुधाय नमः
कर्क: इस लग्न वाले जातकों के लिए अनुकूल रत्न मोती है जिसे सोमवार के दिन प्रातः चंद्र की होरा में पहनना चाहिए। पहनने के पहले रत्न को इस मंत्र से अवश्य जाग्रत कर लेना चाहिए। मंत्र- ऊँ सों सोमाय नमः
सिंह: इस लग्न वाले जातकांे का अनुकूल रत्न माणिक्य है। इसे रविवार को प्रातः रवि की होरा में निम्न मंत्र से जाग्रत कर धारण करना चाहिए। मंत्र- ऊँ घृणि सूर्याय नमः
कन्या :- इस लग्न वाले जातकों के लिए अनुकूल रत्न पन्ना है जिसे बुधवार को बुध की होरा में निम्न मंत्र से जाग्रत कर पहनना चाहिए। मंत्र- ऊँ बुं बुधाय नमः , इस लग्न के लिए पन्ना , हीरा . नीलम रत्न शुभ होता है
तुला :- इस लग्न वाले जातकों के लिए अनुकूल रत्न हीरा तथा राजयोग कारक रत्न नीलम है। हीरा को शुक्ल पक्ष में किसी शुक्रवार को शुक्र की होरा में जाग्रत कर धारण करना चाहिए। मंत्र- ऊँ शुं शुक्राय नमः, हीरा , ओपेल
वृश्चिक :- इस लग्न वाले जातकों का अनुकूल रत्न मूंगा है जिसको शुक्ल पक्ष में किसी मंगलवार को मंगल की होरा में निम्न मंत्र से जाग्रत कर सोने में अनामिका अंगुली में धारण करना चाहिए। मंत्र- ऊँ भौं भौमाय नमः
धनु: इस लग्न वाले जातकों का अनुकूल रत्न पुखराज है जिसे शुक्ल पक्ष के किसी गुरुवार को प्रातः गुरु की होरा में निम्न मंत्र से जाग्रत कर धारण करना चाहिए। मंत्र- ऊँ बृं बृहस्पतये नमः लाभ: पुखराज धारण करने से बल, बुद्धि, ज्ञान, यज्ञ व मान-सम्मान में वृद्धि होती है। पुत्र संतान देता है। पापकर्म करने से बचाता है। अजीर्ण प्रदर, कैंसर व चर्मरोग से मुक्ति दिलाता है।
मकर :-इस लग्न वाले जातकों के लिए अनुकूल रत्न नीलम है जिसे शनिवार के दिन प्रातः शनि की होरा में निम्न मंत्र से जाग्रत कर धारण करना चाहिए। मंत्र- ऊँ शं शनैश्चराये नमः
कुम्भ :- -इस लग्न वाले जातकों के लिए अनुकूल रत्न नीलम है जिसे शनिवार के दिन प्रातः शनि की होरा में निम्न मंत्र से जाग्रत कर धारण करना चाहिए। मंत्र- ऊँ शं शनैश्चराये नमः लाभ- नीलम धारण करने से धन, सुख व प्रसिद्धि में वृद्धि करता है।
मीन :- इस लग्न वाले जातकों का अनुकूल रत्न पुखराज है जिसे शुक्ल पक्ष के किसी गुरुवार को प्रातः गुरु की होरा में निम्न मंत्र से जाग्रत कर धारण करना चाहिए। मंत्र- ऊँ बृं बृहस्पतये नमः