विवाह मुहूर्त
सनातन धर्म में कोई भी शुभ कार्य शुभ मुहूर्त में करना मंगलमय माना जाता है।ऐसा माना जाता है कि जो भी शुभ कार्य शुभ मुहूर्त के अंतर्गत किया जाता है, वह कार्य सफल होता है। और उस कार्य में किसी भी प्रकार की बाधा नहीं आती है,
विवाह करने के लिए मुहूर्त का चयन करना बेहद आवश्यक होता है बशर्ते उस मुहूर्त में विवाह के फेरे हो जाय ताकि विवाहित जोड़ों को आने वाले भविष्य में किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना ना करना पड़े।
2026 में विवाह के लिए कई शुभ मुहूर्त हैं, लेकिन कुछ समय में विवाह नहीं हो सकेंगे,
विवाह वर्जित समय
जैसे जनवरी 2026 और अधिक मास (2 मई से 29 जून) और चातुर्मास (25 जुलाई से 20 नवंबर) के दौरान।
जनवरी: खरमास और शुक्र के अस्त होने के कारण पूरे महीने विवाह नहीं होंगे।
मार्च: होलाष्टक (फरवरी के अंत से 4 मार्च) में विवाह वर्जित हैं।
अप्रैल: होलाष्टक के बाद 14 मार्च से 13 अप्रैल तक खरमास के कारण विवाह नहीं होंगे।
मई और जून: 2 मई से 29 जून तक अधिक मास होने के कारण कोई शुभ कार्य नहीं होंगे।
जुलाई से नवंबर: 25 जुलाई से 20 नवंबर तक चातुर्मास होने के कारण विवाह नहीं होंगे।
मुख्य विवाह मुहूर्त फरवरी (4 फरवरी से), मार्च, अप्रैल, मई और जून 2026 में होंगे। नवंबर और दिसंबर में भी मुहूर्त हैं।
मुख्य विवाह मुहूर्त
साल 2026 में विवाह की शुभ तिथि और मुहूर्त
फरवरी: 5, 6, 8, 10, 12, 14, 19, 20, 21, 24, 25 और 26 फरवरी।
मार्च: 1, 3, 4, 7, 8, 9, 11 और 12 मार्च।
अप्रैल: 15, 20, 21, 25, 26, 27, 28 और 29 अप्रैल।
मई: 1, 3, 5, 6, 7, 8, 13 और 14 मई।
जून: 21, 22, 23, 24, 25, 26, 27 और 29 जून।
जुलाई: 1, 6, 7, 11 जुलाई।
नवंबर: 21, 24, 25 और 26 नवंबर।
दिसंबर: 3, 4, 5, 6, 11 और 12 दिसंबर।
विवाह मुहुर्त के लिए शुभ तिथियां, नक्षत्र, योग, करण
आपको बता दें कि विवाह काफी शुभ संस्कार माना जाता है, इसी लिए शुभ मुहूर्त के साथ-साथ शुभ तिथियां भी महत्वपूर्ण होती हैं। चलिए जानते है विवाह के लिए कौम-सा दिन, योग, तिथि, करण शुभ होते हैः
करण: आपको बता दें किकिन्स्तुघना करण, बावा करण, बलवी करण, कौलव करण, तैतिला करण, गारो करण और वनिजा करण विवाह के लिए काफी शुभ माने जाते हैं।
मुहूर्त: आपको बता दें शादी करने के लिए अभिजीत मुहूर्त और गोधूलि बेला का मुहुर्त सबसे शुभ माना जाता है।
तिथि: द्वितीय, तृतीय, पंचमी, सप्तमी, एकादशी और त्रयोदशी तिथि विवाह के लिए शुभ मानी जाती हैं। इन तिथियों में विवाह करना जातक के लिए शुभ होता है।
नक्षत्र: रोहिणी नक्षत्र ( चौथा नक्षत्र), मृगशिरा नक्षत्र ( पांचवा नक्षत्र), मघा नक्षत्र (दसवां नक्षत्र), उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र (बारहवां नक्षत्र), हस्त नक्षत्र (तेरहवां नक्षत्र), स्वाति नक्षत्र (पंद्रहवां नक्षत्र), अनुराधा नक्षत्र (सत्रहवां नक्षत्र), मूल नक्षत्र (उन्नीसवां नक्षत्र), उत्तराषाढ़ नक्षत्र (इक्कीसवां नक्षत्र), उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र (छब्बीसवां नक्षत्र) और रेवती नक्षत्र (सत्ताईसवाँ नक्षत्र)।
दिन: सोमवार, बुधवार, गुरुवार, और शुक्रवार इन दिनों को विवाह के लिए काफी अनुकूल माना जाता है। जबकि मंगलवार के विवाह करना शुभ नही माना जाता है। यह दिन विवाह समारोह के लिए उत्तम नहीं होता है।
योग : इसी के साथ विवाह के लिए प्रीति योग, सौभाग्य योग, हर्षण योग अति उत्तम होते है। यह योग जातक के लिए लाभदायक होते है।
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