सभी देशवासियों को दीपोत्सव पञ्च महापर्व की हार्दिक बधाई व अनंत शुभकामनायें
भारतवर्ष की पावन भूमि पर कोई न कोई दिवस पर्व के रूप में मनाया जाता है। हर पर्व को मनाने के पीछे कोई न कोई प्राचीन कहानी जुड़ी रहती है। वैसे ही दीपावली पर्व पर पूरा देश दीपक जला कर प्रकाश उत्सव मनाता है।
प्रचलित कथाओं के अनुसार भगवान श्रीराम इसी दिन लंका विजय कर चैदह वर्षों के बाद अयोध्या पधारे थे। उनके आगमन की खुशी में पूरी अयोध्या नगरी को घी के दीपकों से अलंकृत कर दिया था। तब से ही यह पर्व दीपावली (दीपों की पंक्ति) के नाम से प्रकाश-पर्व के रूप में मनाया जाता है।
दीपावली पंचपर्व धनतेरस से भैयादूज तक पूजा मुहूर्त
#धन तेरस
#नरक चौदस
#दीपावली
#गोवर्धन पूजा
#भाई दूज
दीपावली का पर्व कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। वैदिक परंपरा में ज्योति की उपासना का विशेष महत्त्व रहा है। तभी कहा गया है- ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’’। तुला राशि न्याय व व्यापार की प्रतीक मानी जाती है।
इस राशि में जब आत्मकारक सूर्य व मन का कारक चंद्र एक ही अंशों पर होते हैं तब महा अंधकार होता है, जिसे महानिशा या कार्तिक अमावस्या कहते हैं। यही दीपावली पर्व का दिन है।
जब इस विशिष्ट स्थिति में सूर्य-चंद्र इकट्ठे होते है तो स्थिर लग्न में श्रीवृद्धि के लिए लक्ष्मी पूजन करने को कहा गया है। दीपावली के पर्व को कमला जन्मोत्सव भी कहते हैं क्योंकि महालक्ष्मी का नाम ‘कमला’ भी है और समुद्र-मंथन के समय उनका जन्म इसी दिन हुआ था। राक्षसी शक्तियों पर दैव-शक्तियों की विजय के प्रतीक के रूप में भी इस पर्व को मनाते हैं। यह महान सिद्धिदात्री रात्रि कहलाती है। इन दिनों मन सहज रूप में बहुत शांत हो जाता है। उपासना या साधना में इसे सहज रूप में लगाया जाता है। यह रात्रि, हर प्रकार की सत्, रज और तामसिक सिद्धि की है। सिद्धियां हमें हर प्रकार से संपन्न बनाती हैं। अतः दीपावली के इस महापर्व का हम सदुपयोग करें…
पञ्च पर्व धनतेरस से प्रारम्भ होकर भैया दूज के दिन समापन होता है। पहले दिन धन तेरस ,दूसरे दिन नरक चतुर्दशी यानि छोटी दिवाली मनाई जाती है। तीसरे दिन दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है चौथे दिन गोवर्धन पूजा और पांचवे दिन भैया दूज मनाई जाती है।
जानिए दीपावली पंच पर्व पर लक्ष्मी पूजा का शुभमुहूर्त :-पंडित कौशल पाण्डेय
#धनतेरस शुक्रवार -रविवार 19 अक्टूबर 2025
#नरक चौदस, #काली_चौदस सोमवार, 20 अक्टूबर 2025
#दीपावली/अमावश्या - मंगलवार 21 अक्टूबर 2025
#गोवर्धन पूजा - बुधवार 22 अक्टूबर 2025
#भाई दूज :- बृहस्पतिवार 23 अक्टूबर 2025
1 #धनतेरस रविवार 19 अक्टूबर 2025
पंचपर्व का यह चतुर्थ क्रम है जिसे अन्नकूट गोवर्धन कहा जाता है। हमारे यहाँ कहीं भी स्वार्थ में अंधे होकर प्रकृति से खिलवाड़ को समर्थन नहीं दिया गया बल्कि उसका सहर्ष संरक्षण सदैव से किया जाता रहा है। जिससे यहां प्राकृतिक पूजा व उपासना को महत्त्व पूर्ण स्थान प्राप्त है। जिसे स्वतः प्रभु श्रीकृष्ण ने समर्थित किया तथा पृथ्वी पर बसने वाले मानव को यह समझाया कि पेड़, पौधें, नदियां, पर्वत तथा जल स्रोत व नाना विधि जीव जगत सब कुछ मुझसे उत्पन्न हैं। अतएव इनकी रक्षा करों इनकी पूजा तुम्हें धन, धान्य से पूर्ण करेगी तुम्हे आरोग्यता देगी। अतः इन्हें नष्ट करना धरा के अस्तित्व को खोने के समान हैं। अन्नकूट और गोवर्धन पूजादि इसी बात के गवाह हैं कि भारतीय संस्कृति में प्रकृति के संरक्षण का अनूठा संगम है।
5- #भाई दूज :- बृहस्पतिवार, 23 अक्टूबर 2025
इन्ही उपर्युक्त पांच त्यौहारो के साथ दीपावली पंचपर्व का यह उत्सव सम्पन्न हो जाता है।
दीपावली पंचमहापर्व की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। माँ लक्ष्मी,विघ्नहर्ता श्री गणेश। आरोग्य के देव धन्वंतरि और धन के संरक्षक भगवान कुबेर व रिद्धि सिद्धि की आप व आप के परिवार पर सदैव कृपा बनी रहे ऐसी ईश्वर से कामना करता हूँ।
पंडित कौशल पाण्डेय
राष्ट्रीय अध्यक्ष
श्री राम हर्षण शांति कुञ्ज ,भारत
1 #धनतेरस रविवार 19 अक्टूबर 2025
द्वादशी, धनत्रयोदशी, धनतेरस,धन्वन्तरि त्रयोदशी, यम दीप
29 अक्टूबर 2024 मंगलवार कार्तिक मास की कृष्ण त्रयोदशी है। धनतेरस का पर्व कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन मनाया जाता है आज के दिन ही भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था इसलिए इस तिथि को धनतेरस के नाम से जाना जाता है । त्रयोदशी तिथि में प्रदोष काल में मां लक्ष्मी की पूजा करना लाभकारी माना गया है।
2 नरक चतुर्दशी -रूप चतुर्दशी : सोमवार, 20 अक्टूबर 2025
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। नरक चतुर्दशी दिवाली के एक दिन पहले और धनतेरस के एक दिन बाद मनाई जाती है। लेकिन इस बार नरक चतुर्दशी और दीवाली एक ही दिन मनाई जाएगी। इसे छोटी दिवाली, रूप चौदस, नरक चौदस, रूप चतुर्दशी अथवा नरका पूजा के नामों से भी जाना जाता है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का विधान है।
धनतेरस पूजा रविवार 19 अक्टूबर 2025
त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 18, 2025 को 12:18 pm बजे
त्रयोदशी तिथि समाप्त - अक्टूबर 19, 2025 को 01:51 pm बजे
धनतेरस पूजा मुहूर्त - 07:16 PM से 08:20 PM
अवधि - 01 घण्टा 04 मिनट्स
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। नरक चतुर्दशी दिवाली के एक दिन पहले और धनतेरस के एक दिन बाद मनाई जाती है। लेकिन इस बार नरक चतुर्दशी और दीवाली एक ही दिन मनाई जाएगी। इसे छोटी दिवाली, रूप चौदस, नरक चौदस, रूप चतुर्दशी अथवा नरका पूजा के नामों से भी जाना जाता है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का विधान है।
#नरक चौदस, #काली_चौदस सोमवार, 20 अक्टूबर 2025
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ - 19 अक्टूबर 2025 को 01:51 pm
चतुर्दशी तिथि समाप्त - 20 अक्टूबर 2025 को 03:44 pm
नरक चतुर्दशी सोमवार, अक्टूबर 20, 2025 को
अभ्यंग स्नान मुहूर्त - 05:13 ए.एम से 06:25 ए.एम
अवधि - 01 घण्टा 12 मिनट्स
काली चौदस मुहूर्त - 20 अक्टूबर 2025,
शुभ समय 11:41 pm से 12:31 am,
अवधि - 00 घण्टे 51 मिनट्स
3-#दीपावली मंगलवार 21 अक्टूबर 2025
कार्तिक मास कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि को सम्पूर्ण भारत सहित विश्व के अनेक देशों में भी मनाया जाएगा।
अमावस्या, लक्ष्मी पूजा, दीवाली,केदार गौरी व्रत,शारदा पूजा, दीवाली स्नान,दीवाली देव पूजा
#दीपावली पूजा मुहूर्त –
वृषभ लग्न – यह दीपावली के दिन शाम का समय होता है. यह लक्ष्मी पूजा का सबसे अच्छा समय होता है.
सिंह लग्न – यह दीपावली की मध्य रात्रि का समय होता है. संत, तांत्रिक लोग इस दौरान लक्ष्मी पूजा करते है.
4- #गोवर्धन पूजा - 22 अक्टूबर 2025
कार्तिक मास के शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा, गो, पूजा किया जाता है। इस वर्ष गोवर्धन पूजा बुधवार 22 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा।
वृषभ लग्न – यह दीपावली के दिन शाम का समय होता है. यह लक्ष्मी पूजा का सबसे अच्छा समय होता है.
सिंह लग्न – यह दीपावली की मध्य रात्रि का समय होता है. संत, तांत्रिक लोग इस दौरान लक्ष्मी पूजा करते है.
ब्रह्म मुहूर्त 04:44 ए एम से 05:35 ए एम
प्रातः सन्ध्या 05:10 ए एम से 06:26 ए एम
अभिजित मुहूर्त 11:43 ए एम से 12:28 पी एम
विजय मुहूर्त 01:59 पी एम से 02:44 पी एम
गोधूलि मुहूर्त 05:45 पी एम से 06:11 पी एम
सायाह्न सन्ध्या 05:45 पी एम से 07:01 पी एम
आज के दिन के लिए पञ्चक रहित मुहूर्त
शुभ मुहूर्त - 06:26 ए एम से 08:31 ए एम
मृत्यु पञ्चक - 08:31 ए एम से 10:50 ए एम
अग्नि पञ्चक - 10:50 ए एम से 12:54 पी एम
शुभ मुहूर्त - 12:54 पी एम से 02:36 पी एम
रज पञ्चक - 02:36 पी एम से 04:04 पी एम
शुभ मुहूर्त - 04:04 पी एम से 05:29 पी एम
शुभ मुहूर्त - 05:29 पी एम से 05:54 पी एम
मृत्यु पञ्चक - 05:54 पी एम से 07:04 पी एम
अग्नि पञ्चक - 07:04 पी एम से 08:59 पी एम
शुभ मुहूर्त - 08:59 पी एम से 10:59 पी एम
रज पञ्चक - 10:59 पी एम से 11:14 पी एम
शुभ मुहूर्त - 11:14 पी एम से 01:34 ए एम, अक्टूबर 22
चोर पञ्चक - 01:34 ए एम, अक्टूबर 22 से 03:52 ए एम, अक्टूबर 22
शुभ मुहूर्त - 03:52 ए एम, अक्टूबर 22 से 06:08 ए एम, अक्टूबर 22
रोग पञ्चक - 06:08 ए एम, अक्टूबर 22 से 06:26 ए एम, अक्टूबर 22
अमृत काल 03:51 पी एम से 05:38 पी एम
निशिता मुहूर्त 11:40 पी एम से 12:31 ए एम, अक्टूबर 22
आज के दिन के लिए उदय-लग्न मुहूर्त
तुला - 06:12 ए एम से 08:31 ए एम
वृश्चिक - 08:31 ए एम से 10:50 ए एम
धनु - 10:50 ए एम से 12:54 पी एम
मकर - 12:54 पी एम से 02:36 पी एम
कुम्भ - 02:36 पी एम से 04:04 पी एम
मीन - 04:04 पी एम से 05:29 पी एम
मेष - 05:29 पी एम से 07:04 पी एम
वृषभ - 07:04 पी एम से 08:59 पी एम
मिथुन - 08:59 पी एम से 11:14 पी एम
कर्क - 11:14 पी एम से 01:34 ए एम, अक्टूबर 22
सिंह - 22 अक्टूबर 01:34 am से 03:52 am,
कन्या - 22 अक्टूबर 03:52 am से 06:08 am,
कार्तिक मास के शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा, गो, पूजा किया जाता है। इस वर्ष गोवर्धन पूजा बुधवार 22 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा।
#गोवर्धन पूजा बुधवार, अक्टूबर 22, 2025
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 21, 2025 को 05:54 पी एम बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त - अक्टूबर 22, 2025 को 08:16 पी एम बजे
गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त - 06:26 ए एम से 08:42 ए एम
अवधि - 02 घण्टे 16 मिनट्स
द्यूत क्रीड़ा बुधवार, अक्टूबर 22, 2025 को
गोवर्धन पूजा सायाह्नकाल मुहूर्त - 03:29 पी एम से 05:44 पी एम
अवधि - 02 घण्टे 16 मिनट्स
पंचपर्व का यह चतुर्थ क्रम है जिसे अन्नकूट गोवर्धन कहा जाता है। हमारे यहाँ कहीं भी स्वार्थ में अंधे होकर प्रकृति से खिलवाड़ को समर्थन नहीं दिया गया बल्कि उसका सहर्ष संरक्षण सदैव से किया जाता रहा है। जिससे यहां प्राकृतिक पूजा व उपासना को महत्त्व पूर्ण स्थान प्राप्त है। जिसे स्वतः प्रभु श्रीकृष्ण ने समर्थित किया तथा पृथ्वी पर बसने वाले मानव को यह समझाया कि पेड़, पौधें, नदियां, पर्वत तथा जल स्रोत व नाना विधि जीव जगत सब कुछ मुझसे उत्पन्न हैं। अतएव इनकी रक्षा करों इनकी पूजा तुम्हें धन, धान्य से पूर्ण करेगी तुम्हे आरोग्यता देगी। अतः इन्हें नष्ट करना धरा के अस्तित्व को खोने के समान हैं। अन्नकूट और गोवर्धन पूजादि इसी बात के गवाह हैं कि भारतीय संस्कृति में प्रकृति के संरक्षण का अनूठा संगम है।
5- #भाई दूज :- बृहस्पतिवार, 23 अक्टूबर 2025
द्वितीया तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 22, 2025 को 08:16 पी एम बजे
द्वितीया तिथि समाप्त - अक्टूबर 23, 2025 को 10:46 पी एम बजे
भाई दूज अपराह्न समय - 01:13 पी एम से 03:28 पी एम
अवधि - 02 घण्टे 15 मिनट्स
यम द्वितीया बृहस्पतिवार, अक्टूबर 23, 2025 को
पंच महापर्व का यह पांचवाँ एवं अति विशिष्ट पर्व है जिसे भैया दूज या द्वितीया भी कहा जाता है, जो कि कार्तिक मास की शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है। भाई बहन के पवित्र रिश्तों का प्रतीक यह त्यौहार अति विशिष्ठ है। इसका प्रमुख उद्देश्य भाई-बहनों के बीच में निर्मलता को बढ़ाना है, इसी कारण इसका नाम भैया दूज है। इस त्यौहार के माध्यम से प्रत्येक बहन अपने प्रिय भाई हेतु कामना करती है, कि उसके भाई की दीर्घायु व सेहत खिली हुई हो उनकी समृद्धि व कीर्ति सदैव बढ़ती रहे। आज के दिन बहनें अपने भाई को अपने घर बुलाती हैं तथा टीका करके नाना प्रकार स्वादिष्ट व्यंजन परोसती हैं। यदि बहन व भाई पितृ गृह में ही हो तो भी उन्हें आज के दिन अपने भाई को नाना भांति के पकवान उन्हें खिलाना चाहिए।
इन्ही उपर्युक्त पांच त्यौहारो के साथ दीपावली पंचपर्व का यह उत्सव सम्पन्न हो जाता है।
दीपावली पंचमहापर्व की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। माँ लक्ष्मी,विघ्नहर्ता श्री गणेश। आरोग्य के देव धन्वंतरि और धन के संरक्षक भगवान कुबेर व रिद्धि सिद्धि की आप व आप के परिवार पर सदैव कृपा बनी रहे ऐसी ईश्वर से कामना करता हूँ।
पंडित कौशल पाण्डेय
राष्ट्रीय अध्यक्ष
श्री राम हर्षण शांति कुञ्ज ,भारत

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